Top 10 Motivational Story In Hindi [2023] | मोटिवेशनल स्टोरी फॉर स्टूडेंट्स

आज हम आपके लिए Top 10 Motivational Story In Hindi में लेकर आये है। ये कहानी आपको सफलता के लिए मोटिवेट करेगी। मेहनत और लगन की कहानी जो आपको सफलता की राह दिखाएगी। अगर आप भी अपने जीवन में सफल होना चाहते है तो आपको इन बातो का विशेष ध्यान रखना होगा।

आरंभ करने से पहले सपने निर्धारित करें
पहली सफलता सपने को निर्धारित करने में होती है। जब आप अपने सपनों को निर्धारित करते हैं तो उन्हें पूरा करने के लिए आपको ज्यादा मेहनत करने की ज़रूरत नहीं होती है। सपनों को निर्धारित करने से आप अपनी लक्ष्यों की तरफ अधिक संकल्पित होते हैं।
मेहनत कीजिए
कुछ पाने के लिए हमें कुछ खोना पड़ता है। यदि आप कुछ पाना चाहते हैं तो आपको मेहनत करना होगा। मेहनत आपकी सफलता की कुंजी है। जब आप मेहनत करते हैं तो आपको सफलता ज़रूर मिलती है।
लगन जरूरी है
लगन आपके कामयाबी की गुप्त शक्ति है। जब आप किसी काम को लगन से करते हैं तो आपको सफलता जरूर मिलेगी।
हार नहीं मानना
जब आप कुछ करने की कोशिश करते हैं तो आपको बार-बार हार का सामना करना पड़ता है। लेकिन आपको हार नहीं मानना चाहिए। हार से नहीं बल्कि हार के बाद आपको आगे बढ़ना चाहिए। आपको हमेशा अपने लक्ष्य के लिए काम करते रहना चाहिए।
अपने दोस्तों का साथ दें
आप जब भी कुछ करते हैं तो अपने दोस्तों का साथ देना बहुत ज़रूरी होता है। दोस्तों का साथ देने से आपका दिमाग ताजगी से भर जाता है। अपने दोस्तों का साथ लेकर आप उनसे नए विचार भी ले सकते हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं।
निरंतर प्रयास करें
आप जब भी कुछ करते हैं तो उसमें निरंतर प्रयास करते रहना चाहिए। निरंतर प्रयास से आप अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए ज्यादा मजबूत बनते हैं।
सफलता की राह पर बढ़ते रहें
जब आप सफलता की राह पर बढ़ते हैं तो आपको हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहिए। आपको निरंतर अपने लक्ष्य के लिए काम करते रहना चाहिए।

Motivational Story In Hindi

स्टीव जॉब्स

आज पूरे विश्‍व में स्टीव जॉब्स को कौन नहीं जानता। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में पूरे विश्‍व के अंदर क्रांति लाने वाले Apple की शुरुआत एक गैरेज में दो आदमियों ने किया था। आज हम इसे 2 बिलियन डॉलर से अधिक संपत्ति वाली कंपनी के रूप में जानते हैं जिसमें करीब 5000 से अधिक कर्मचारी काम करते हैं, लेकिन क्‍या आप जानते है कि इस कंपनी को शुरू करने वाले स्टीव जॉब्स को उनकी ही कंपनी से निकाल दिया गया था। इस दौरान समय ने उन्हें एहसास दिलाया कि अपने काम के लिए उनका जुनून असफलता की निराशा से अधिक है। नेक्स्ट और पिक्सर जैसे आगे के उपक्रमों ने अंततः जॉब्स को एप्पल में फिर से सीईओ की स्थिति में वापस ला दिया। वर्ष 2005 में जॉब्स ने अपने एक स्पीच में कहा था कि, “मैंने तब इसे नहीं देखा था, लेकिन यह मुझे मालुम है कि Apple से निकाल दिया जाना मेरे लिए सबसे अच्छी बात रही, जो कि मेरे साथ कभी भी हो सकती थी।” अगर आपकी भी जॉब चली गई है, तो उससे निराश न हों, बल्कि उससे दो कदम आगे बढ़ने की कोशिश करें।

सफलता का रहस्य

एक बार एक नौजवान लड़के ने सुकरात से पूछा कि सफलता का रहस्य क्या है?
सुकरात ने उस लड़के से कहा कि तुम कल मुझे नदी के किनारे मिलो. वो मिले. फिर सुकरात ने नौजवान से उनके साथ नदी की तरफ बढ़ने को कहा.और जब आगे बढ़ते-बढ़ते पानी गले तक पहुँच गया, तभी अचानक सुकरात ने उस लड़के का सर पकड़ के पानी में डुबो दिया.
लड़का बाहर निकलने के लिए संघर्ष करने लगा , लेकिन सुकरात ताकतवर थे और उसे तब तक डुबोये रखे जब तक की वो नीला नहीं पड़ने लगा. फिर सुकरात ने उसका सर पानी से बाहर निकाल दिया और बाहर निकलते ही जो चीज उस लड़के ने सबसे पहले की वो थी हाँफते-हाँफते तेजी से सांस लेना.
सुकरात ने पूछा ,” जब तुम वहाँ थे तो तुम सबसे ज्यादा क्या चाहते थे?”
लड़के ने उत्तर दिया,”सांस लेना”
सुकरात ने कहा,” यही सफलता का रहस्य है. जब तुम सफलता को उतनी ही बुरी तरह से चाहोगे जितना की तुम सांस लेना चाहते थे तो वो तुम्हे मिल जाएगी” इसके आलावा और कोई रहस्य नहीं है.
दोस्तों, जब आप सिर्फ और सिर्फ एक चीज चाहते हैं तो more often than not…वो चीज आपको मिल जाती है. जैसे छोटे बच्चों को देख लीजिये वे न past में जीते हैं न future में, वे हमेशा present में जीते हैं…और जब उन्हें खेलने के लिए कोई खिलौना चाहिए होता है या खाने के लिए कोई टॉफ़ी चाहिए होती है…तो उनका पूरा ध्यान, उनकी पूरी शक्ति बस उसी एक चीज को पाने में लग जाती है and as a result वे उस चीज को पा लेते हैं.इसलिए सफलता पाने के लिए FOCUS बहुत ज़रूरी है, सफलता को पाने की जो चाहता है उसमे intensity होना बहुत ज़रूरी है..और जब आप वो फोकस और वो इंटेंसिटी पा लेते हैं तो सफलता आपको मिल ही जाती है.

एलन मस्क की सफलता कहानी

एक लड़के जिसने बचपन से ही अपने दिमाग का इस्तेमाल अलग तरीके से किया था। उनका रुझान अपनी रुचि और पढ़ाई में नहीं था बल्कि उन्होंने नए-नए आविष्कारों के बारे में सोचना शुरू कर दिया था। वे अपने दिमाग के दम पर स्पेसएक्स की स्थापना करने का सपना देखते थे।
एलन ने अपनी प्रेरणा खोजने के लिए पुस्तकें पढ़ना शुरू किया, जहां से वे सिखते थे कि किस तरह दुनिया में नए-नए आविष्कार होते हैं। उन्होंने संचार तंत्र, सौर ऊर्जा और गाड़ियों के विकास में अपनी निवेश की धारा शुरू की।
अपनी सफलता के लिए, एलन मस्क ने कई बार असफलताओं से गुजरना पड़ा। उन्होंने तब भी हार नहीं मानी और अपनी लगन और उत्साह के साथ अपने सपनों को पूरा करने का संकल्प लिया।
आज एलन मस्क स्पेसएक्स, टेस्ला, सोलर सिटी जैसी कंपनियों के संस्थापक हैं। उनका सपना अब हकीकत में बदल गया है
एक दिन, एलन एक नया स्कॉट एडल्स के साथ लांच करने गए। स्कॉट बता रहा था कि वह कैसे एक कंपनी चला रहा है जो सिर्फ उसी की खुशी के लिए बनाई गई है। एलन ने उनसे पूछा, “यहां सब कुछ ख़ुशी के लिए चल रहा है, लेकिन कंपनी ने अभी तक कोई पैसा नहीं कमाया है। तो तुम्हारा व्यवसाय कैसे चलता है?” स्कॉट ने कहा, “हम तो बस जो चाहते हैं, उसे करते रहते हैं और सब कुछ अपनी जगह पर होता है।”
एलन ने सोचा, “अगर ये इंसान ऐसा कर सकता है, तो मैं क्यों नहीं?” वह उस समय स्पेस एक्स के संस्थापक थे, और उन्होंने सोचा कि वह इसे अपनी तरह चलाने का प्रयास करेंगे। उन्होंने बहुत से लोगों को अपने साथ मिलकर काम किया और अपने सपनों को पूरा करने में सफल रहे। उन्होंने स्पेस एक्स के अलावा तेस्ला कंपनी को भी बनाया।
एलन ने अपने जीवन में अनेक बाधाओं से निपटना सीखा था, लेकिन उन्होंने कभी भी निराश नहीं हुए थे।
इस तरह से इलॉन मस्क ने कुछ समय में अपने सपनों को पूरा करने के लिए बेहद मुश्किलों का सामना किया। वह सिर्फ एक उद्यमी ही नहीं था, बल्कि एक दृष्टिकोण भी था। उन्होंने किसी भी चीज को संभव माना और सफलता की ओर आगे बढ़ा। उनके व्यापारी और तकनीकी दक्षता ने उन्हें एक महान उद्यमी के रूप में उभारा है जो सफलता की और आगे बढ़ रहा है।

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बाड़े की कील 

बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में एक लड़का रहता था. वह बहुत ही गुस्सैल था, छोटी-छोटी बात पर अपना आप खो बैठता और लोगों को भला-बुरा कह देता. उसकी इस आदत से परेशान होकर एक दिन उसके पिता ने उसे कीलों से भरा हुआ एक थैला दिया और कहा कि , ” अब जब भी तुम्हे गुस्सा आये तो तुम इस थैले में से एक कील निकालना और बाड़े में ठोक देना.”
पहले दिन उस लड़के को चालीस बार गुस्सा किया और इतनी ही कीलें बाड़े में ठोंक दी.पर धीरे-धीरे कीलों की संख्या घटने लगी,उसे लगने लगा की कीलें ठोंकने में इतनी मेहनत करने से अच्छा है कि अपने क्रोध पर काबू किया जाए और अगले कुछ हफ्तों में उसने अपने गुस्से पर बहुत हद्द तक काबू करना सीख लिया. और फिर एक दिन ऐसा आया कि उस लड़के ने पूरे दिन में एक बार भी अपना temper नहीं loose किया.
जब उसने अपने पिता को ये बात बताई तो उन्होंने ने फिर उसे एक काम दे दिया, उन्होंने कहा कि ,” अब हर उस दिन जिस दिन तुम एक बार भी गुस्सा ना करो इस बाड़े से एक कील निकाल निकाल देना.”
लड़के ने ऐसा ही किया, और बहुत समय बाद वो दिन भी आ गया जब लड़के ने बाड़े में लगी आखिरी कील भी निकाल दी, और अपने पिता को ख़ुशी से ये बात बतायी.
तब पिताजी उसका हाथ पकड़कर उस बाड़े के पास ले गए, और बोले, ” बेटे तुमने बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन क्या तुम बाड़े में हुए छेदों को देख पा रहे हो. अब वो बाड़ा कभी भी वैसा नहीं बन सकता जैसा वो पहले था.जब तुम क्रोध में कुछ कहते हो तो वो शब्द भी इसी तरह सामने वाले व्यक्ति पर गहरे घाव छोड़ जाते हैं.”

दो दोस्त की कहानी

एक शहर में दो दोस्त रहते थे एक दिन वो दोनों दोस्त समुद्र के किनारे शंख इकट्ठा करने के लिए गए ताकि उन संख्या को बेचकर वो अपने लिए कुछ पूंजी जमा कर पाए।
दोनों दोस्त शंख इकठ्ठा कर ही रहे थे तभी पहले वाले दोस्त को एक बड़ा शंख दिख गया और ये देखकर दूसरे वाले दोस्त के मन में आया की यार इसे तो बड़ा शंख मिल गया अब ये मुझसे ज्यादा पैसा कमा लेगा।
तो फिर उसने सोचा की अब मैं भी इससे बड़ा शंख ही ढूढूंगा ताकि मैं भी ज्यादा पैसा कमा पाऊ तो अब वह लग गया बड़े शंख की तलाश में उसने खूब ढूंढा खूब मेहनत की लेकिन फिर भी उसे बड़ा शंख हासिल नहीं हुआ और उस बड़े शंख के चक्कर में उसे जितने भी छोटे छोटे शंख मिलते उन सारे शंखो को उठाकर फेंक देता क्योकि उसके दिमाग में वो बड़ा शंख था की मुझे किसी भी हालत में वो बड़ा शंख चाहिए ताकि मैं थोड़े ज्यादा पैसे कमा पाऊ।
उस बड़े शंख के तलाश में दोपहर से शाम हो गयी शाम से रात हो गयी तो ना तो उसे बड़ा शंख मिला और बल्कि जो छोटे-छोटे शंख उसे मिले थे उन संख्या को भी उसने फेक दिए तो उसके हाथ में कुछ नहीं आया और जो पहला वाला दोस्त था उसके पास एक बड़ा शंख था और कुछ छोटे शंख थे।

Motivational Story In Hindi


तो रात हो गयी और वो दोनों दोस्त घर जाने लगे तो घर जाते वक्त पहला वाला जो दोस्त था उसने अपने शंख बेच दिए तो उसके पास जो बड़ा शंख था उसके उसे मिले 1000 रूपये और जो छोटे छोटे शंख जो उसके पास थे उसके उसे मिले 3000 हजार रूपये और ये जानकर उस दूसरे वाले दोस्त को बहुत दुःख हुआ की काश वह उन छोटे छोटे शंख को फेंकता नहीं तो अभी मेरे पास इससे भी ज्यादा कमाई होती।
उसके दोस्तों ने उसे बताया की जो छोटे छोटे शंख तूने फेंक दिए थे ना उन्ही को मैंने अपने पास कलेक्ट कर लिया और उन्ही की वजह से मुझे मिले 3000 रूपये और ये जानकर वो दूसरा वाला दोस्त और भी ज्यादा निराश हो जाता है।
इस कहानी को बताने का मेरा मकसद बिलकुल साफ़ है की हम कुछ बड़ी बड़ी चीज़े करने के चक्कर में हम कई सारे छोटे-छोटे मौके हाथ से गवा देते है।
हम हमरी Day To Day लाइफ में भी कई सारे छोटी छोटी चीज़ो को इग्नोर कर देते है लेकिन ये बात आपको जान लेनी चाहिए की ये छोटी छोटी चीज़े आगे जाकर बहुत विशाल रूप धारण कर लेती है हर छोटी चीज़ पर ध्यान लगाओ उसे इग्नोर मत करो आगे जाकर आपको इसकी अहमियत पता चलेगी।
मैं ये भी नहीं कह रहा हूँ की आप छोटा सोचो और छोटा ही करो मेरे कहने का मतलब ये है की आप सोचो बड़ा लेकिन उसके लिए आप हर वो छोटा काम करो जिससे की आपका लक्ष्य आपको हासिल हो।
दोनों दोस्तों का लक्ष्य एक ही था वो था पैसा, लेकिन पहले वाले दोस्त ने ही बड़े पर भी फोकस किया और छोटे पर भी फोकस किया और दूसरा दोस्त सिर्फ बड़े पर ही फोकस किया छोटी छोटी चीज़ो को इग्नोर कर दिया और जहा उसे ज्यादे पैसे मिलने चाहिए थे वह उसे एक रुपया भी नहीं मिला।
अंत में सिर्फ इतना ही कहना चाहूंगा की छोटे-छोटे बदलाव ही बड़े कामयाबी का हिस्सा होता है। ऐसे ही और शार्ट स्टोरी के लिए आप मोटिवेशन की आग पर आकर देख सकते है।

बोले हुए शब्द वापस नहीं आते

एक बार एक किसान ने अपने पडोसी को भला बुरा कह दिया, पर जब बाद में उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह एक संत के पास गया.उसने संत से अपने शब्द वापस लेने का उपाय पूछा.
संत ने किसान से कहा , ” तुम खूब सारे पंख इकठ्ठा कर लो , और उन्हें शहर के बीचो-बीच जाकर रख दो .” किसान ने ऐसा ही किया और फिर संत के पास पहुंच गया.
तब संत ने कहा , ” अब जाओ और उन पंखों को इकठ्ठा कर के वापस ले आओ”
किसान वापस गया पर तब तक सारे पंख हवा से इधर-उधर उड़ चुके थे. और किसान खाली हाथ संत के पास पहुंचा. तब संत ने उससे कहा कि ठीक ऐसा ही तुम्हारे द्वारा कहे गए शब्दों के साथ होता है,तुम आसानी से इन्हें अपने मुख से निकाल तो सकते हो पर चाह कर भी वापस नहीं ले सकते.

संन्यासी की दया भावना

स्वामी दयानंद गिरि एक ब्रह्मनिष्ठ संत थे । वे प्रायः कहा करते थे कि जो व्यक्ति गरीबों व असहायों से प्रेम करता है, भगवान् उसे अपनी कृपा का अधिकारी बना देते हैं ।
स्वामीजी विरक्तता की साक्षात् मूर्ति थे। चौबीस घंटे में एक बार किसी घर से भिक्षा प्राप्त करते थे। शेष समय साधना व लोगों को सदाचार का उपदेश देने में लगाते ।
एक बार किसी मजदूर ने उन्हें नंगे पाँव विचरण करते देखकर कपड़े के जूते भेंट किए। उन्होंने उस निश्छल भक्त के जूते खुशी-खुशी स्वीकार कर लिए कुछ वर्ष बाद उनका एक भक्त नए जूते लेकर आया तथा प्रार्थना की कि पुराने जूते उतारकर उसके लाए जूते पहन लें।
स्वामीजी ने जवाब दिया, ‘इन जूतों में मुझे गरीब मजदूर के प्रेम की झलक दिखाई देती है। मैं इन्हें तब तक पहनता रहूँगा, जब तक ये पूरी तरह फट न जाएँ।’
एक बार उनके भक्त शिवरात्रि पर भंडारा कर रहे थे । स्वामीजी प्रवचन में कह रहे थे कि वही सत्कर्म सफल होता है, जिसमें गरीबों के खून-पसीने की कमाई लगती है।
अचानक उन्होंने देखा कि दरवाजे पर कुछ लोग एक वृद्धा को हाथ पकड़कर बाहर निकाल रहे हैं। स्वामीजी ने कहा, ‘माई को आदर सहित यहाँ लाओ। ‘ वृद्धा आई तथा बोली, ‘महाराज, मेरे ये दो रुपए भंडारे में लगवा दें। ये लोग नहीं ले रहे हैं। ‘
स्वामीजी ने भक्त को पास बुलाया और बोले, ‘इन दो) रुपए का नमक मंगवाकर भंडारे में लगवा दो । खून-पसीने की ईमानदारी की कमाई के नमक से भंडारा भगवान् का प्रसाद बन जाएगा।’

करोड़पति बनने की कहानी

Motivational Story In Hindi

यह कहानी एक आदमी की है, जो छोटी उम्र में ही अपने माता-पिता के साथ से दूर हो गया था। उसका जीवन बहुत ही मुश्किलों से भरा था, लेकिन वह इस बात से कभी नहीं हारा कि वह अपने लक्ष्य को हासिल करना चाहता है। वह बहुत मेहनती था और हमेशा सक्रिय रहता था।
उसने एक छोटी सी दुकान खोली थी जहां वह जूते बेचता था। शुरुआत में उसका व्यापार बहुत अच्छा नहीं चल रहा था, लेकिन उसने अपनी मेहनत और लगन से इसे बढ़ावा दिया। उसने अपने ग्राहकों की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए उन्हें उनकी पसंद के जूते उपलब्ध कराने की कोशिश की।
धीरे-धीरे उसका व्यापार बढ़ता गया और उसने अपनी दुकान की शाखाओं को भी खोल दिया। वह धीमे-धीमे एक सफल व्यापारी बन गया।
उसने कभी नहीं सोचा था कि उसके पास इतना धन होगा, लेकिन उसने हमेशा लक्ष्य के दिशा में काम किया और उसकी मेहनत ने उसे एक करोड़पति बना दिया।
उसकी सफलता का रहस्य था उसकी लगन और निरंतर मेहनत में। उसका मानना था कि वह हमेशा से कुछ बड़ा करना चाहता है। उसने हमेशा यह सोचा कि वह अपने व्यापार को और बढ़ावा देना चाहता है ताकि उसे अपने लक्ष्य तक पहुंचने में सहायता मिल सके।
उसने कभी भी हार नहीं मानी और हमेशा अपने सपनों को पूरा करने के लिए समय-समय पर काम किया। उसका विश्वास और मेहनत ने उसे इस सफलता की ऊंचाई तक पहुंचाया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने लक्ष्य की ओर दृष्टि लगानी चाहिए और उसे हासिल करने के लिए हमेशा मेहनत करनी चाहिए। इसके अलावा, हमें किसी भी समस्या से हार नहीं माननी चाहिए और हमेशा अपने सपनों के पीछे भागना चाहिए।

सही दिशा

एक पहलवान जैसा, हट्टा-कट्टा, लंबा-चौड़ा व्यक्ति सामान लेकर किसी स्टेशन पर उतरा। उसनेँ एक टैक्सी वाले से कहा कि मुझे साईँ बाबा के मंदिर जाना है।
टैक्सी वाले नेँ कहा- 200 रुपये लगेँगे। उस पहलवान आदमी नेँ बुद्दिमानी दिखाते हुए कहा- इतने पास के दो सौ रुपये, आप टैक्सी वाले तो लूट रहे हो। मैँ अपना सामान खुद ही उठा कर चला जाऊँगा।
वह व्यक्ति काफी दूर तक सामान लेकर चलता रहा। कुछ देर बाद पुन: उसे वही टैक्सी वाला दिखा, अब उस आदमी ने फिर टैक्सी वाले से पूछा – भैया अब तो मैने आधा से ज्यादा दुरी तर कर ली है तो अब आप कितना रुपये लेँगे?
टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- 400 रुपये।
उस आदमी नेँ फिर कहा- पहले दो सौ रुपये, अब चार सौ रुपये, ऐसा क्योँ।
टैक्सी वाले नेँ जवाब दिया- महोदय, इतनी देर से आप साईँ मंदिर की विपरीत दिशा मेँ दौड़ लगा रहे हैँ जबकि साईँ मँदिर तो दुसरी तरफ है।
उस पहलवान व्यक्ति नेँ कुछ भी नहीँ कहा और चुपचाप टैक्सी मेँ बैठ गया।
इसी तरह जिँदगी के कई मुकाम मेँ हम किसी चीज को बिना गंभीरता से सोचे सीधे काम शुरु कर देते हैँ, और फिर अपनी मेहनत और समय को बर्बाद कर उस काम को आधा ही करके छोड़ देते हैँ। किसी भी काम को हाथ मेँ लेनेँ से पहले पुरी तरह सोच विचार लेवेँ कि क्या जो आप कर रहे हैँ वो आपके लक्ष्य का हिस्सा है कि नहीँ।
हमेशा एक बात याद रखेँ कि दिशा सही होनेँ पर ही मेहनत पूरा रंग लाती है और यदि दिशा ही गलत हो तो आप कितनी भी मेहनत का कोई लाभ नहीं मिल पायेगा। इसीलिए दिशा तय करेँ और आगे बढ़ेँ कामयाबी आपके हाथ जरुर थामेगी।

बड़ा बनने के लिए बड़ा सोचो

Motivational Story In Hindi

अत्यंत गरीब परिवार का एक बेरोजगार युवक नौकरी की तलाश में किसी दूसरे शहर जाने के लिए रेलगाड़ी से सफ़र कर रहा था | घर में कभी-कभार ही सब्जी बनती थी, इसलिए उसने रास्ते में खाने के लिए सिर्फ रोटीयां ही रखी थी |
आधा रास्ता गुजर जाने के बाद उसे भूख लगने लगी, और वह टिफिन में से रोटीयां निकाल कर खाने लगा | उसके खाने का तरीका कुछ अजीब था , वह रोटी का एक टुकड़ा लेता और उसे टिफिन के अन्दर कुछ ऐसे डालता मानो रोटी के साथ कुछ और भी खा रहा हो, जबकि उसके पास तो सिर्फ रोटीयां थीं!! उसकी इस हरकत को आस पास के और दूसरे यात्री देख कर हैरान हो रहे थे | वह युवक हर बार रोटी का एक टुकड़ा लेता और झूठमूठ का टिफिन में डालता और खाता | सभी सोच रहे थे कि आखिर वह युवक ऐसा क्यों कर रहा था | आखिरकार एक व्यक्ति से रहा नहीं गया और उसने उससे पूछ ही लिया की भैया तुम ऐसा क्यों कर रहे हो, तुम्हारे पास सब्जी तो है ही नहीं फिर रोटी के टुकड़े को हर बार खाली टिफिन में डालकर ऐसे खा रहे हो मानो उसमे सब्जी हो |
तब उस युवक ने जवाब दिया, “भैया , इस खाली ढक्कन में सब्जी नहीं है लेकिन मै अपने मन में यह सोच कर खा रहा हू की इसमें बहुत सारा आचार है, मै आचार के साथ रोटी खा रहा हू |”
फिर व्यक्ति ने पूछा , “खाली ढक्कन में आचार सोच कर सूखी रोटी को खा रहे हो तो क्या तुम्हे आचार का स्वाद आ रहा है ?”
“हाँ, बिलकुल आ रहा है , मै रोटी के साथ अचार सोचकर खा रहा हूँ और मुझे बहुत अच्छा भी लग रहा है |”, युवक ने जवाब दिया|उसके इस बात को आसपास के यात्रियों ने भी सुना, और उन्ही में से एक व्यक्ति बोला , “जब सोचना ही था तो तुम आचार की जगह पर मटर-पनीर सोचते, शाही गोभी सोचते….तुम्हे इनका स्वाद मिल जाता | तुम्हारे कहने के मुताबिक तुमने आचार सोचा तो आचार का स्वाद आया तो और स्वादिष्ट चीजों के बारे में सोचते तो उनका स्वाद आता | सोचना ही था तो भला छोटा क्यों सोचे तुम्हे तो बड़ा सोचना चाहिए था |”


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