New Top 10 Moral Stories In Hindi [2023] | बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी

दोस्तों, आज हम आपके लिए New Top 10 Moral Stories In Hindi (बेस्ट मोरल स्टोरी इन हिंदी) में लेकर आये है। ये कहानियां जो हमें जीवन में सही मार्गदर्शन देती हैं। हर एक कहानी में एक सीख होती है जो हमें सही दिशा में चलने के लिए प्रेरित करती है। इन कहानियों को सुनने से हमारी मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति होती है। आप भी इन कहानियों को अपने बच्चों और परिवार के साथ शेयर करके उन्हें भी सही मार्गदर्शन दे सकते हैं। उम्मीद करते हैं कि आपको ये कहानियां पसंद आएँगी।
इन कहानियों से हमें यह सीख मिलती है कि जीवन में हमें कभी भी हिम्मत नहीं हारनी चाहिए। हमें सफलता के लिए अपने सपनों पर भरोसा करना चाहिए और उन्हें पूरा करने के लिए प्रयास करना चाहिए। हमें हमेशा सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए और सही मार्गदर्शन पर चलना चाहिए। हमें अपने साथी, परिवार और समाज की भलाई के लिए काम करना चाहिए।

इन कहानियों को पढ़कर हमें जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए आवश्यक गुण जैसे कि साहस, निरंतर प्रयास, सच्चाई और दृढ़ इच्छा से लगना सीख मिलती है।
ये कहानियां हमें यह भी सिखाती हैं कि हमें सबकुछ अपनी मनोदशा और सोच के अनुसार नहीं करना चाहिए। हमें दूसरों के बारे में सोचना चाहिए और उन्हें समझने की कोशिश करनी चाहिए। हमें सबका सम्मान करना चाहिए और अपने अधिकारों का दुरुपयोग नहीं करना चाहिए। हमें समाज की भलाई के लिए काम करना चाहिए और दूसरों की मदद करना चाहिए।

इन कहानियों को सुनकर हमें यह भी याद रखना चाहिए कि असफलता के बाद हार नहीं मानना चाहिए। हमें अपने दोषों से सीख लेना चाहिए और उन्हें सुधारने के लिए प्रयास करना चाहिए। हमें जीवन में स्वयं को अच्छा बनाने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए और दूसरों को भी उत्तम बनाने में सहायता करना चाहिए

New Top 10 Moral Stories In Hindi – हिंदी में 10 नैतिक कहानी

लोमड़ी और सारस

New Top 10 Moral Stories In Hindi [2023]

लोमड़ी और सारस दो जीवों की कहानी है जो एक दूसरे से बहुत अलग थे। लोमड़ी बहुत चालाक थी और सारस बहुत निर्भय थी। एक दिन, लोमड़ी ने सारस को देखा और उसे घबराहट में डाल दिया। लोमड़ी ने सारस को बताया कि एक बादशाह आने वाला है और सबको आपसे मिलना है। लोमड़ी की यह बात सारस को भयभीत कर दी।
लोमड़ी ने सारस को देखते हुए हंसा और कहा, “तुम कितनी डरपोक हो। तुम एक पक्षी हो, तुम्हें डरने की कोई ज़रूरत नहीं है।” सारस ने उत्तर दिया, “हाँ, लेकिन मैंने आपकी बात मान ली और अब जब बादशाह आएगा तो उससे मिलने के लिए सब आएंगे।”
अगले दिन, बादशाह नहीं आया था और सारस को पता चला कि लोमड़ी ने उससे झूठ बोला था। सारस ने इससे सीखा कि किसी की बात पर अंधविश्वास करने से बचना चाहिए।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें अपने विचारों पर विश्वास रखना चाहिए और दूसरों की बातों पर अंधविश्वास नहीं कर चाहिए।

अंधा बैल

New Top 10 Moral Stories In Hindi

एक गांव में एक बैल रहता था, जो अंधा था। एक दिन, एक नाविक ने एक बेचारे बैल को अपनी नाव में डाल लिया और उसे अगले शहर तक ले जाने वाला था।
बैल को अपनी अंधाई की वजह से नई जगह पर कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। नाविक ने इसको उतार दिया और बैल उस जंगल में घूमने लगा जहां उसे बिल्लियों के सामने खड़ा होना पड़ा।
बिल्लियां उसे भोजन के रूप में खा गईं, लेकिन अंधे बैल ने यह नहीं जाना कि उसे खा जा रहे हैं। इसके बाद, बैल ने सोचा कि वह जंगल से बाहर नहीं निकल पाएगा।
एक दिन, एक शेर उसके पास से गुजर रहा था और बैल ने अपनी आवाज बुलंद करके उससे मदद मांगी। शेर ने उसे समझाया कि उसे नई जगहों की खोज करनी चाहिए और उसकी अंधाई उसे कुछ नहीं बिगाड़ती।
बैल ने उसकी बात सुनी और शेर के रास्ते में चलने लगा।
बैल ने शेर के साथ जंगल के रास्ते बहुत सारी जगहों को ढूंढा जहां उसे राहत मिल सकती थी। अंत में, बैल ने अपनी नई घाटी का दर्शन किया जो उसके लिए बहुत ही उपयुक्त थी।
वहाँ पर बैल को शांति और सुकून मिला और वह अपनी ज़िन्दगी का नया अध्याय शुरू करने को तैयार था।
इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि हमें निरंतर अपने अंधविश्वासों और अकेलापन से निकलने की कोशिश करनी चाहिए। हमें हमेशा सच्चाई को स्वीकार करना चाहिए और नासमझी से दूर रहना चाहिए।

चार दोस्तों की कहानी

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चार दोस्त – राजू, रमेश, सुरेश और विनोद – एक दिन एक समझौते पर पहुंचे कि जो भी पैसे उनके पास होंगे, उन्हें सबसे बड़ा बचता बनना चाहिए। उन्होंने एक संगठन बनाया और कुछ रुपये को एकत्रित करने शुरू किया।
लेकिन एक दिन, राजू ने जबरन रूप से कुछ पैसे ले लिए जो बचत की खाते से निकाले गए थे। सुरेश, रमेश और विनोद ने उससे इस बारे में पूछा तो उसने झूठ बोला कि पैसे उन्होंने नहीं लिए थे।
जब बाकी तीनों दोस्तों ने सच्चाई जान ली तो वे राजू को अपने संगठन से निकाल दिया। इस समझौते से संबंध तोड़ने के बाद, तीनों दोस्तों का नाम और धन का मूल्य बढ़ गया और वे अच्छे लोग बने।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जो सही होता है, उसे सही ही माना जाना चाहिए और गलत का साथ नहीं देना चाहिए।

बच्चे का सच्चा प्यार

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एक छोटे से गांव में रहने वाला एक बच्चा था जिसका नाम रमेश था। रमेश बहुत ही मस्तिष्क वाला था और उसके दिमाग में हमेशा कुछ न कुछ नया आता रहता था। रमेश का बहुत सच्चा दोस्त एक कुत्ता था, जिसका नाम टमी था। रमेश और टमी एक-दूसरे के साथ हमेशा खेलते रहते थे।
एक दिन रमेश अपनी माँ से बात कर रहा था। उसने बताया कि टमी को कुछ अजीब लग रहा है और वह खाने का भी मन नहीं कर रहा है। माँ ने टमी की जाँच की और पता चला कि उसको बुखार हो गया है। माँ ने टमी को दवा दी लेकिन वह ठीक नहीं हो रहा था। रमेश को बहुत दुख होता था क्योंकि वह अपने दोस्त को ठीक नहीं कर पा रहा था।
रमेश ने फिर सोचा और फिर उसे एक बहुत अच्छा विचार आया। उसने अपनी माँ से कहा कि उसे टमी के साथ खेलना होगा और उसे दवा भी खिलानी होगी। उसने टमी के पास जाकर उसे दवा खिलाई और उसकी सहायता की।
धीरे-धीरे, टमी ठीक होने लगा और उसने रमेश के सच्चे प्यार करने लगा।

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एकता में बल

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जंगल में दो जानवर रहते थे, एक शेर और दूसरा भालू। शेर अकेला और दुश्मनी के साथ रहता था जबकि भालू सभी जानवरों के साथ मित्रता और एकता का पालन करता था।
एक दिन शेर के मन में खेलने की इच्छा उठी और वह भालू के बिना अकेले खेलने गया। शेर के द्वारा तोड़-फोड़ करते समय एक तंगा फँस गया जिसे शेर अकेले नहीं उठा सकता था।
फिर उसने भालू से बुलाकर सहायता मांगी, जो तुरंत उसकी मदद करने के लिए आ गया। भालू ने अपनी शक्ति का इस्तेमाल करके तंगा को उठाया और उसे सुरक्षित जगह तक पहुंचाया।
शेर ने देखा कि उसके दुश्मन भालू ने उसकी मदद की तो उसके मन में एकता और सहयोग की भावना उत्पन्न हुई। उसने भालू को माफ कर दिया और अब से वह भी सभी जानवरों के साथ मिलकर एकता और सहयोग की बात करता था।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि एकता और सहयोग की शक्ति किसी भी बुराई का सामना करने में मदद करती है।

अकबर-बीरबल की कहानी

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एक बार की बात है, बीरबल दरबार में मौजूद नहीं थे। इसी बात का फायदा उठा कर कुछ मंत्रीगण बीरबल के खिलाफ महाराज अकबर के कान भरने लगे। उनमें से एक कहने लगा, “महाराज! आप केवल बीरबल को ही हर जिम्मेदारी देते हैं और हर काम में उन्हीं की सलाह ली जाती है। इसका मतलब यह है कि आप हमें अयोग्य समझते हैं। मगर, ऐसा नहीं हैं, हम भी बीरबल जितने ही योग्य हैं।”
महाराज को बीरबल बहुत प्रिय थे। वह उनके खिलाफ कुछ नहीं सुनना चाहते थे, लेकिन उन्होंने मंत्रीगणों को निराश न करने के लिए एक समाधान निकाला। उन्होंने उनसे कहा, “मैं तुम सभी से एक प्रश्न का जवाब चाहता हूं। मगर, ध्यान रहे कि अगर तुम लोग इसका जवाब न दे पाए, तो तुम सबको फांसी की सजा सुनाई जाएगी।”
दरबारियों ने झिझक कर महाराज से कहा, “ठ.. ठीक है महाराज! हमें आपकी ये शर्त मंजूर है, लेकिन पहले आप प्रश्न तो पूछिए।”

महाराज ने कहा, “दुनिया की सबसे बड़ी चीज़ क्या है?”
यह सवाल सुनकर सभी मंत्रीगण एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। महाराज ने उनकी ये स्थिति देख कर कहा, “याद रहे कि इस प्रश्न का उत्तर सटीक होना चाहिए। मुझे कोई भी अटपटा सा जवाब नहीं चाहिए।”
इस पर मंत्रीगणों ने राजा से इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए कुछ दिनों की मोहलत मांगी। राजा भी इस बात के लिए तैयार हो गए।
महल से बाहर निकलकर सभी मंत्रीगण इस प्रश्न का उत्तर ढूंढने लगे। पहले ने कहा कि दुनिया की सबसे बड़ी चीज़ भगवान है, तो दूसरा कहने लगा कि दुनिया की सबसे बड़ी चीज भूख है। तीसरे ने दोनों के जवाब को नकार दिया और कहा कि भगवान कोई चीज नहीं है और भूख को भी बर्दाश्त किया जा सकता है। इसलिए राजा के प्रश्न का उत्तर इन दोनों में से कोई नहीं है।
धीरे-धीरे समय बीतता गया और मोहलत में लिए गए सभी दिन भी गुजर गए। फिर भी राजा द्वारा पूछे गए प्रश्न का जवाब न मिलने पर सभी मंत्रीगणों को अपनी जान की फिक्र सताने लगी। कोई अन्य उपाय न मिलने पर वो सभी बीरबल के पास पहुंचे और उन्हें अपनी पूरी कहानी सुनाई। बीरबल पहले से ही इस बात से परिचित थे। उन्होंने उनसे कहा, “मैं तुम्हारी जान बचा सकता हूं, लेकिन तुम्हें वही करना होगा जैसा मैं कहूं।” सभी बीरबल की बात पर राजी हो गए।
अगले ही दिन बीरबल ने एक पालकी का इंतजाम करवाया। उन्होंने दो मंत्रीगणों को पालकी उठाने का काम दिया, तीसरे से अपना हुक्का पकड़वाया और चौथे से अपने जूते उठवाये व स्वयं पालकी में बैठ गए। फिर उन सभी को राजा के महल की ओर चलने का इशारा दिया।
जब सभी बीरबल को लेकर दरबार में पहुंचे, तो महाराज इस मंजर को देख कर हैरान थे। इससे पहले कि वो बीरबल से कुछ पूछते, बीरबल खुद ही राजा से बोले, “महाराज! दुनिया की सबसे बड़ी चीज ‘गरज’ होती है। अपनी गरज के कारण ही ये सब मेरी पालकी को उठा कर यहां तक ले आए हैं।”
यह सुन महाराज मुस्कुराये बिना न रह सके और सभी मंत्रीगण शरम के मारे सिर झुकाए खड़े रहे।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें कभी भी किसी की योग्यता से जलना नहीं चाहिए, बल्कि उससे सीख लेकर खुद को भी बेहतर बनाने की कोशिश करनी चाहिए।

चींटी की सूझ-बूझ

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एक जंगल में एक चींटी रहती थी। वह हमेशा अपने घर की सफाई करती थी। उसे सभी जंगली जीवों से बहुत प्रेम था। एक दिन वह देखा कि उसके घर में एक कीड़ा है। वह उसे अपने घर से निकालने का तरीका ढूंढने में लग गई।
चींटी ने अपने घर के सारे बाहरी द्वारों को बंद कर दिया, लेकिन कीड़ा अभी भी घर में था। उसने सोचा कि वह जंगल के अन्य जीवों से सलाह ले सकती है। उसने जंगल के एक तितली को बुलाया और उससे सलाह मांगी।
तितली ने कहा, “चींटी जी, आप अपने घर के सारे द्वार बंद कर दीजिए और फिर धीरे-धीरे घर के अंदर से कीड़े को बाहर निकाल लीजिए।”
चींटी ने इस सुझाव का अनुसरण किया और कुछ समय बाद कीड़ा घर से निकल गया। चींटी ने तितली को धन्यवाद दिया और उसे अपने प्रति आभार व्यक्त किया।
इस कहानी से हमें यह सबक मिलता है कि हमें दूसरों की सलाह लेनी चाहिए और एक दूसरे से सहयोग करना चाहिए। सबका भला हमारा भला।

मूर्ख कौआ

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एक पेड़ पर एक कौआ रहता था। उसे अपने काले पंख जरा भी अच्छे नहीं लगते थे। वह जब मोरों के सुंदर पंख देखता तो उसे अपने आप से नफरत होने लगती। वह सोचता, ‘काश, मैं भी इनकी तरह सुंदर होता।’
एक दिन उसे जंगल में कुछ मोरपंख बिखरे दिखाई दिए। उसने उन पंखों को उठाकर अपने पंखों के ऊपर लगा लिया। फिर वह कौओं के झुंड में पहुँचकर बोला, “तुम लोग कितने गंदे हो। मैं तो तुमसे बात भी नहीं कर सकता।”
और वह वहाँ से उड़कर मोरों के झुंड में जाकर बैठ गया। मोरों ने जब मोर पंख लगाए हुए कौए को देखा तो उसकी हँसी उड़ाते हुए बोले, “इस कौए को देखो! बेचारा मोर बनना चाहता है। इसे सबक सिखाना चाहिए।”
यह कहकर उन्होंने कौए के सारे मोरपंख नोच लिए और उसे वहाँ से भगा दिया। वहाँ से कौआ अपने पुराने मित्रों के पास गया। पर उन्होंने भी उसे वहाँ से यह कहकर भगा दिया,”जाए, हमें तुम्हारी दोस्ती की जरूरत नहीं है।”

साधु की झोपड़ी

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किसी गाँव में दो साधू रहते थे. वे दिन भर भीख माँगते थे और मंदिर में पूजा करते थे. एक दिन गाँव में आँधी आ गयी और बहुत जोरों की बारिश होने लगी
दोनों गांव की सीमा से लगी एक झोपड़ी में रहते थे. शाम को जब दोनों वापस लौटे तो देखा कि आँधी तूफान के कारण उनकी झोपडी टूट गयी है
यह देखकर पहला साधू क्रोधित हो उठता है और बुदबुदाने लगता है – भगवान तू मेरे साथ हमेशा ही गलत करता है. मै दिन-भर तेरा नाम लेता हूँ. मंदिर में तेरी पूजा करता हूँ
फिर भी तूने मेरी झोपड़ी तोड़ दी. गाँव में चोर-लुटेरे, झूठे लोगों के तो मकानो को कुछ नहीं हुआ. बेचारे हम साधुओं की झोपडी ही तूने तोड दी. ये तेरा काम है. हम तेरा नाम जपते है पर तू हमसे प्रेम नही करता
तभी दूसरा साधु आता है और झोपड़ी को देखकर खुश हो जाता है. नाचने लगता है और कहता है कि भगवान आज विश्वास हो गया तू हमसे कितना प्रेम करता है
ये हमारी आधी झोपड़ी तूने ही बचाई होगी. वरना इतनी तेज आँधी में हमारी झोपड़ी कैसे बचती. ये तेरी ही कृपा है कि अभी भी हमारे पास सर ढकने के लिए जगह है. निश्चित ही ये मेरी पूजा का फल है. कल से मैं तेरी और पूजा करूँगा. मेरा तुझ पर विश्वास अब और बढ़ गया है
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

  1. चाहे कितनी भी गम्भीर परिस्थिति हो हमें नकारात्मक सोच नहीं रखनी चाहिए
  2. हमें अपने परमात्मा पर विश्वास रखना चाहिए

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लालची दुकानदार

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अकबर के शासन काल में जब बीरबल नौ-रत्नों में एक था तब बीरबल को नगर को लोगों ने आकर एक लालची बर्तनों के दुकानदार की शिकयत की ओर उसे सबक सिखाने के लिए कहा
तब बीरबल उसे सबक सिखाने गए. उन्होंने वहाँ से तीन बड़े-बड़े पतीले खरीदे. कुछ समय बाद वे एक छोटी सी पतीली लेकर दुकानदार के पास गए और बोले – भाई साहब आपके बड़े पतीले ने बच्चा दिया है कृपया आप इसे रख लें
दुकानदार बहुत खुश हुआ और पतीली ले ली. कुछ दिनों के बाद बीरबल एक बड़ा पतीला लेकर उस लालची दुकानदार के पास पहुँचे और बोले – मुझे ये पतीली पंसद नहीं आई. आप मुझे मेरे रूपये वापस कर दीजिए
फिर दुकानदार बोला – लेकिन ये तो एक ही पतीला है और दो पतीले कहाँ है. बीरबल ने कहा – असल में उन दो पतीलों की मौत हो गई है. दुकानदार ये सुनकर बोलता है – तुम मुझे बेवकूफ मत बनाओ, क्या कभी पतीलों की भी मृत्यु हो सकती है
बीरबल ने कहा – जब पतीलों के बच्चे हो सकते है तो उनकी मृत्यु क्यों नहीं हो सकती है. दुकानदार को अपनी करनी पर बहुत पछतावा हुआ और उसे बीरबल को पैसे वापस देने पड़ते हैं
⬆⬆ इस कहानी से सीखने योग्य बातें ⬇⬇

  1. इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें लालच नहीं करना चाहिए

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